रविवार, 17 मार्च 2013

शिक्षा की हवाई यात्रा


अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट काउंसिल के अनुसार भारत के तीन एयरपोर्ट दिल्ली , मुंबई  और हैदराबाद विश्व के पहले पाँच एयरपोर्ट्स मे शुमार किए गए हैं | यह एक अच्छी बात है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है | लेकिन इस खबर के आने से कुछ दिन पहले एक और खबर आई थी कि भारत का कोई भी विश्वविद्यालय विश्व के पहले 200 विश्वविद्यालयों की सूची में भी जगह नहीं बना पाया है | इन खबरों से साफ पता चलता है कि भारत एक चमचमाते कालीन के नीचे कितनी मिट्टी छिपाये हुये है | हालांकि इस बार के बजट में शिक्षा के क्षेत्र में 65 हज़ार करोड़ रुपए आवंटित किए जाने की घोषणा हुई है जो कि पिछले बजट की तुलना में ­­­­­­7% अधिक है |
जहां एक तरफ देश में विमान सेवा के उपभोग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है वहीं प्राथमिक शिक्षा में ड्रॉप आउट्स की संख्या शिक्षा का कानून आ जाने के बाद पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ गई है | तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्यों में शिक्षा का कानून लागू हो जाने के बाद ड्रॉप आउट्स का अनुपात वर्ष 2011 में 0.1% से 1.2% तक बढ़ गया है | और गुजरात में 0.4% की बढ़ोतरी हुई है | वहीं भारतीय विमान सेवा में वर्ष 2011 में जुलाई तक यात्रियों की संख्या में 22.3% का इजाफा हुआ जो वर्ष 2010-11 में हुई स्नातकों की संख्या में वृद्धि का लगभग 5 गुना है | एक तरफ तो भारत में विमान से यात्रा करने वालों को उपयुक्त और बेहतर से बेहतर सुविधाएं दी जा रही हैं क्योंकि उनकी संख्या में हर साल औसतन 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है तो दूसरी और शिक्षा की गुणवत्ता के गिरते स्तर और आरटीई के उद्देश्य को पूरा नही किया जा रहा है | और कम होते हुये आकड़ों के प्रति कोई विशेष एवं प्रभावी कदम नही उठाएँ जा रहें हैं | बेहतर सुविधाओं से लैस एयरपोर्ट विश्व मे नाम कमा रहे हैं तो वहीं अब भी हर 10 मे से एक सरकारी स्कूल में पीने के पानी की व्यवस्था खराब है और हर पाँच में से एक स्कूल में ही कम्प्युटर है |
आज हमारे देश में जितने लोग विमान यात्रा का लुत्फ उठाते हैं उससे भी अधिक बच्चे अब भी स्कूल नही जाते हैं | वैश्वीकरण के इस दौर में दुनिया के साथ कदम ताल करने में कोई बुराई नही यदि हमारी सरकार देश के सभी नागरिकों को समान अवसर दे | एक तरफ तो विमान सेवाएँ विश्वरूपी माहौल देने में लगी हुई हैं तो दूसरी ओर अब भी अनेक सरकारी स्कूल आधारभूत सुविधाओं से वंचित हैं |
एक रिपोर्ट से यह बात सामने आई है कि हमारे देश में हर महीने 51 लाख लोग विमान से सफर करते हैं | अभी इस समय भारत की विमान सेवा विश्व की नौवी सबसे तेज़ बढ़ती हुई विमान सेवा है | और साल 2020 तक भारतीय विमान सेवा के विश्व तीसरे पायदान पर पहुचने के आसार हैं | लेकिन शिक्षा के मामले में स्थिति बिलकुल उलट है | यहाँ कक्षा एक मे नामांकित होने वाले बच्चों में से 50 प्रतिशत बच्चे कक्षा 8 तक पहुँचते पहुँचते अपनी पढ़ाई छोड़ देते है और हर साल 27 लाख बच्चे ड्रॉप आउट हो जाते हैं |
शिक्षा को लेकर सरकार जो भी कदम उठा रही है वे इतने प्रभावी नही हो पा रहे है जितने विमान सेवाओं की उत्कृष्टता बढ़ रही है | यह हमारे देश के लिए एक चिंताजनक विषय है केवल कानून बना लेने और अनुदान बढ़ा देने से हम विश्व में जगह नही बना सकते | शिक्षा की समस्याओं पर गहन रूप से चिंतन करना होगा | या फिर हम केवल सीमित क्षेत्र में ही संसार में अपनी जगह बना कर खुश होना चाहते हैं |