बिनायक सेन को उम्रकैद की सज़ा के बाद
हमें बचपन में ही सिखा दिया जाता है कि हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए , सदैव सत्य बोलना चाहिए। और साथ ही यह उम्मीद भी की जाती है कि आगे आने वाली पीढ़़ी को भी हम यहीं सिखाएं लेकिन बिनायक सेन ने लोगों की मदद करनी चाही तो सरकार ने उन्हें देशद्रोह करार दिया ।
बिनायक सेन एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होनें देशसेवा को सबसे ऊपर माना लेकिन सत्तालोलुप सरकार के फैसले ने न सिर्फ लोकतंत्र का मजाक बनाया है बल्कि कहीं न कहीं आगे आने वाली को यह संदेश दिया है कि यदि गरीब और हाशिए पर पहुॅंचे लोगों की मदद की या उनकी समानता के पक्ष में कुछ कहा तो देशद्रोही माने जाओगे । सरकार के इस फैैसले से एक ही बात जो उभर कर सामने आ रही है कि देशद्रोही वही है जो देश का भला चाहता है । और सरकार अपने फैसले के पक्ष में खोखली दलीलें दे रहीं है। इससे पहले भी कितने ही उन लोगो की आवाजों को दबा दिया गया जो मानवाधिकारों के लिए उठी।
इसके साथ ही यह फैसला हमारी न्याय प्रक्रिया पर भी बहुत बड़ा सवालिया निशान लगाता है । एक तरफ वो लोग हैं जिन्होने करोड़ों का घपला किया फिर भी अभी तक स्वतंत्र हैं वहीं दूसरी ओर वे हैं जो समानता , शांति और न्याय के लिए आवाज उठाते है तो उन्हें कुचल दिया जाता है।
hmmmm...quite thinkable blog....achhha hai
जवाब देंहटाएंsahi kaha anshu ji aapne...
जवाब देंहटाएंbilkul thik bat . . .
जवाब देंहटाएंAccha hai. Keep it up :)
जवाब देंहटाएंhum aapse sahmat hai dost, dekha jaye to humare desh k sabse bade terorist aur deshdrohi is desh ko hajaro salonse chalanewale log hai jinhone is desh k logonke buniyadi hakonkoapne swarth k liye kuchla aur aaj bhi kuchlte ja rahe hai
जवाब देंहटाएं